श्री यंत्र का उपयोग: रहस्य, लाभ और सही विधि
(Motivational Week ब्लॉग के लिए विशेष लेख)
परिचय:
भारत
की प्राचीन परंपरा
में श्री यंत्र को
सर्वोच्च यंत्रों में गिना गया
है। यह केवल
एक ज्यामितीय आकृति
नहीं है, बल्कि
इसमें ब्रह्मांडीय ऊर्जा, समृद्धि, सौभाग्य और आध्यात्मिक विकास का
संगठित स्वरूप समाया
हुआ है।
श्री यंत्र का
सही उपयोग न
केवल धन और सुख-समृद्धि के
द्वार खोलता है,
बल्कि यह अवचेतन मन को
भी शुद्ध और
शक्तिशाली बनाता है।
श्री यंत्र क्या है?
श्री यंत्र एक
विशेष ज्यामितीय यंत्र है
जो नौ त्रिकोणों से
मिलकर बना होता
है।
इन त्रिकोणों में
पांच नीचे की
ओर (शक्ति का
प्रतीक) और चार
ऊपर की ओर
(शिव का प्रतीक)
होते हैं, जो
शिव-शक्ति के
मिलन को दर्शाते हैं।
इसका केंद्र बिंदु
(बिंदु) कॉस्मिक एनर्जी का स्रोत माना
जाता है।
श्री यंत्र का उपयोग क्यों करें?
- धन
और समृद्धि के लिए
श्री यंत्र को "लक्ष्मी यंत्र" भी कहा जाता है। यह मानसिक और भौतिक समृद्धि दोनों को आकर्षित करता है। - नकारात्मक
ऊर्जा से बचाव
यह यंत्र घर या कार्यस्थल से वास्तु दोष और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। - ध्यान
और मानसिक स्थिरता के लिए
श्री यंत्र पर ध्यान केंद्रित करने से मन एकाग्र होता है और अवचेतन मन जाग्रत होता है। - आकर्षण
और आत्मविश्वास में वृद्धि
यह व्यक्ति के चेतन और अवचेतन मन को सकारात्मक ऊर्जा से भरता है जिससे आकर्षण क्षमता और आत्मबल बढ़ता है।
श्री यंत्र का उपयोग कैसे करें?
1. स्थापना का दिन और स्थान:
- शुक्रवार
या दीपावली का दिन सबसे शुभ माना जाता है।
- इसे घर के मंदिर या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में रखें।
2. शुद्धिकरण:
- यंत्र को पहले गंगाजल या शुद्ध जल से धोएं।
- उसके बाद कुमकुम, चावल, फूल और धूप-दीप से पूजन करें।
3. मंत्र जाप:
श्री
यंत्र के लिए
मूल मंत्र है:
"ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये
प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः"
- इस मंत्र का 108
बार जाप करें।
- प्रतिदिन
या कम से कम शुक्रवार को यह साधना अवश्य करें।
4. ध्यान विधि:
- यंत्र के बिंदु (केन्द्र) पर ध्यान केंद्रित
करें।
- मन को शुद्ध और शांत करने वाले विचार लाएं।
- कल्पना करें कि यंत्र से स्वर्णिम
प्रकाश निकल रहा है और आपको ऊर्जा दे रहा है।
श्री यंत्र के उपयोग से मिलने वाले लाभ:
✅ आर्थिक परेशानियों से
राहत
✅ निर्णय लेने की
क्षमता में सुधार
✅ मानसिक तनाव में
कमी
✅ घर में सकारात्मकता और
संतुलन
✅ आध्यात्मिक प्रगति और आत्मसाक्षात्कार
सावधानियाँ:
- कभी भी श्री यंत्र का अपमान न करें।
- इसे गंदे या अशुद्ध स्थान पर न रखें।
- इसका उपयोग केवल सद्भावनापूर्वक
और आत्मिक लाभ के लिए करें।
1. श्री यंत्र का चित्र (वर्णन)
(आप चाहें तो इसे ग्राफिक के रूप में डिजाइन करवा सकते हैं। यहाँ उसका विवरण दिया गया है):
1. श्री यंत्र का केंद्र बिंदु: ‘बिंदु’ — ब्रह्मांड की रचना का स्रोत
2. ऊपर की ओर चार त्रिकोण — शिव तत्व (पुरुष ऊर्जा)
3. नीचे की ओर पाँच त्रिकोण — शक्ति तत्व (स्त्री ऊर्जा)
4. एक वृत्त — ऊर्जा का फैलाव
5. एक कमल की आकृति — सौंदर्य और शांति
6. चार दरवाजों वाला चौकोर — पृथ्वी तत्व और स्थिरता
2. श्री यंत्र मंत्र चार्ट:
आप इसे प्रिंट करके श्री यंत्र के पास रख सकते हैं:
|
क्रम संख्या |
मंत्र |
जाप संख्या |
|
1 |
ॐ
श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः |
108 |
|
2 |
ॐ
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे |
108 |
|
3 |
ॐ
ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः |
108 |
सुझाव: रोज़ कम से कम 5 मिनट मंत्र जाप करें, विशेष रूप से शुक्रवार को।
नाम: “श्री
यंत्र
ध्यान
– अवचेतन
मन
की
जागृति”
समय: लगभग 5–7 मिनट
स्क्रिप्ट:
अब अपनी आँखें बंद करें... गहरी साँस लें... और धीरे-धीरे छोड़ें...
अपने मन को शांत करें...
अब कल्पना करें कि सामने श्री यंत्र रखा हुआ है — स्वर्णिम प्रकाश से चमकता हुआ...
उसके बिंदु (केंद्र) पर ध्यान केंद्रित करें...
वहाँ से दिव्य प्रकाश निकल रहा है... वह प्रकाश धीरे-धीरे आपकी ओर आ रहा है...
अब आप उस प्रकाश से भर रहे हैं... हर साँस के साथ वह ऊर्जा आपके मन और शरीर में प्रवेश कर रही है...
अब मन ही
मन दोहराएं —
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः”
इस मंत्र के हर उच्चारण के साथ आप धन, सुख और आत्मबल से भर रहे हैं...
कुछ क्षण इस ऊर्जा में ठहरें...
अब धीरे-धीरे आँखें खोलें... और इस ऊर्जा को पूरे दिन साथ रखें..
श्री यंत्र किस-किस धातु में होनी चाहिए और क्या लाभ हैं?
श्री यंत्र किस धातु में बनवाना चाहिए?
श्री यंत्र को धातु, क्रिस्टल या भोजपत्र पर अंकित किया जाता है। यह जिस धातु में बना हो, उसका भी गहरा आध्यात्मिक और ऊर्जात्मक प्रभाव होता है। नीचे प्रमुख धातुओं के अनुसार श्री यंत्र की जानकारी और लाभ दिए गए हैं:
1. स्वर्ण (सोना) में श्री यंत्र
श्रेष्ठतम और अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
· माँ लक्ष्मी का प्रिय धातु
· उच्चतम स्तर की सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है
· स्थायी धन और प्रतिष्ठा की प्राप्ति
· राजसी वैभव और दिव्यता का अनुभव
किंतु: महंगा होने के कारण सभी के लिए व्यावहारिक नहीं
2. चांदी में श्री यंत्र
सौम्य, शीतल और शांत ऊर्जा प्रदान करता है।
· घर में सुख-शांति और प्रेम का प्रवाह बढ़ाता है
· मानसिक तनाव से मुक्ति
· महिलाओं के लिए विशेष शुभ
· आर्थिक प्रगति और पारिवारिक सुख
3. तांबा (कॉपर) में श्री यंत्र
सबसे लोकप्रिय और प्रचलित श्री यंत्र।
· शक्तिशाली ऊर्जा का संचार
· शुरुआती साधकों के लिए श्रेष्ठ
· वास्तु दोष निवारण में उपयोगी
· नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर घर में संतुलन लाता है
टिप: इसे नियमित रूप से साफ़ और पूजा करना जरूरी है।
4. पंचधातु में श्री यंत्र
पांच पवित्र धातुओं से निर्मित (सोना, चांदी, तांबा, पीतल, सीसा)
· बहुत ही शुभ और संतुलित ऊर्जा देने वाला यंत्र
· आध्यात्मिक साधकों के लिए उपयुक्त
· आत्मिक जागरण, ध्यान और प्रगति में सहायक
5. स्फटिक (क्रिस्टल) श्री यंत्र
ऊर्जा को शीघ्र आकर्षित करने वाला यंत्र
· मानसिक एकाग्रता और ध्यान के लिए सर्वोत्तम
· पढ़ाई करने वाले या नौकरी की तैयारी कर रहे लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी
· नकारात्मक विचारों को दूर कर सकारात्मकता लाता है
3. श्री यंत्र किसे, कौन-सी धातु में चुनना चाहिए?
|
उद्देश्य |
उपयुक्त श्री यंत्र |
धातु |
|
धन-संपत्ति |
स्वर्ण/तांबा |
सोना/तांबा |
|
मानसिक शांति |
चांदी/स्फटिक |
चांदी |
|
साधना, ध्यान |
पंचधातु/स्फटिक |
पंचधातु |
|
वास्तु दोष
निवारण |
तांबा |
तांबा |
|
विद्यार्थी/प्रतियोगिता |
स्फटिक |
क्रिस्टल |
|
महिलाओं के
लिए |
चांदी |
चांदी |
.
निष्कर्ष:
श्री यंत्र केवल
एक धार्मिक प्रतीक
नहीं, बल्कि एक
ऊर्जा केंद्र है
जो आपके जीवन
को सकारात्मक दिशा
दे सकता है।
यदि इसे श्रद्धा और
नियमितता के साथ उपयोग
में लाया जाए,
तो यह न
केवल धन और समृद्धि का
द्वार खोलता है,
बल्कि आपको आत्मिक शांति और
मनोवैज्ञानिक संतुलन भी
देता है।
संदेश:
"श्री यंत्र बाहर नहीं, आपके भीतर की ऊर्जा को जगाने का माध्यम है। इसका सही उपयोग करें और अपने जीवन को एक नई ऊँचाई पर ले जाएँ।"






बहुत सटीक और जबरदस्त
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